janmashtami 2025 | janmashtami timing 2025: जन्माष्टमी तिथि और शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, ये मैसेज जरूर पढ़ें और शेयर करें

Written by sanju

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1. janmashtami 2025—तिथि और शुभ मुहूर्त

विवरण समय (द्रविड़ पंचांग अनुसार)
अष्टमी तिथि प्रारंभ15 अगस्त 2025, रात 11:49 बजे
अष्टमी तिथि समाप्ति(krishna janmashtami time)16 अगस्त 2025, रात 09:34 बजे
निशीथ (मध्यरात्रि) पूजा मुहूर्त12:04 AM – 12:47 AM (16-17 अगस्त की मध्यरात्रि), अवधि लगभग 43 मिनट
मध्यरात्रि का क्षण (Krishna का जन्म)लगभग 12:26 AM
पारण (व्रत तोड़ने) समय16 अगस्त, सुबह 5:51 AM के बाद

2. श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि (krishna janmashtmi Puja Vidhi)

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  1. स्नान और शुद्धि
    सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें, शुद्ध वस्त्र पहनें।
  2. मंदिर सजावट और सामग्री
    पूजा स्थल को साफ करें। दीप, धूप, कपूर, रोली, अक्षत, पुष्प, गाय का दूध-दही-घी, तुलसी, दूर्वा, यज्ञोपवीत, अक्षत, फल, मधु, सप्तधान, गाय का घी-घृत आदि सामग्री तैयार रखें।
  3. लड्डू गोपाल की स्थापना और श्रृंगार
    • बाल गोपाल (लड्डू गोपाल) की प्रतिमा स्थापित करें।
    • गोपी चंदन, सुंदर वस्त्र (पीले, गुलाबी, हरे आदि), बाजूबंद, कमरबंद, पायल, माला, बांसुरी, मोर पंख, झूला, काजल आदि से श्रृंगार करें।
    • पंचामृत स्नान कराएं, रोली-अक्षत चढ़ाएं।
    • “नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की” बोलकर सेवा करें।
  4. निशीथ पूजा (मध्यरात्रि)
    • 12:04 AM से 12:47 AM का शुभ काल विशेष माना जाता है।
    • इस दौरान भगवान का पंचामृत स्नान, मंत्रपाठ, भोग और आरती हों।
    • मध्यरात्रि का दैनिक क्षण (12:26 AM) विशेष रूप से पूजनीय है।
  5. मंत्र और आरती
    • मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीनन्दनाय नमः कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः॥ क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा ॐ कृष्णाय नमः ॐ देव्किनन्दनाय धिमहि वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्णः प्रचोदयात्।
    • आरती: प्रसिद्ध आरती “Aarti Kunj Bihari Ki” का गायन किया जाता है।
  6. भोग-अर्पण
    • गाय का माखन, मिश्री, खीर, पंजीरी, पंचामृत सहित सात्विक भोग अर्पित करें।
    • “महाप्रसाद” के रूप में धनिया पंजीरी का विशेष महत्व है।
  7. व्रत का पारण
    • पारण का समय सुबह 5:51 AM के बाद या अष्टमी तिथि समाप्ति (9:34 PM) के बाद हो सकता है।
    • धर्मशास्त्रीय दृष्टि से दोनों समय मान्य हैं—स्थानीय परंपरा अनुसार चुनें।

janmashtami 2025 | janmashtami ki photo
janmashtami ki photo

3. shri krishna janmashtami 2025 अन्य महत्वपूर्ण जानकारी

  • पूजा का महत्व: यह पर्व भक्ति, प्रेम, आध्यात्मिकता, धर्म की रक्षा तथा अधर्म पर विजय का प्रतीक है। मध्यरात्रि का समय विशेष रूप से दिव्य आनंद का होता है।
  • योग-संयोग:
    “अमृत सिद्धि योग”, “सर्वार्थ सिद्धि योग”, “वृद्धि योग”, “ध्रुव योग”, “श्रीवत्स योग”, “गजलक्ष्मी योग”, “ध्वांक्ष योग”, “बुधादित्य योग” जैसे 6 शुभ योग इस दिन बन रहे हैं, जो पूजा-अर्चना के लिए अत्यंत फलदायक माने जाते हैं।
  • इस्कॉन (ISKCON) आयोजन:
    इस्कॉन अनेकों मंदिरों में 16 अगस्त को विशेष कार्यक्रम, कीर्तन, भजन-नृत्य, भव्य शृंगार और दही-हांडी जैसी विविध गतिविधियाँ आयोजित करता है।

संक्षेप में — 2025 जन्माष्टमी पूजाविधि का सारक्रम

  1. 15 अगस्त, रात 11:49 बजे से व्रत प्रारंभ
  2. सुबह स्नान और सफाई
  3. लड्डू गोपाल की स्थापना, श्रृंगार और पंचामृत स्नान
  4. मध्यरात्रि (12:04–12:47 AM) में पूजा, मंत्र, आरती, भोग
  5. पारण—सुबह 5:51 AM के बाद या रात 9:34 PM के बाद

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    कृपया बताएं—क्या आप किसी विशिष्ट पूजा मंत्र, आरती के शब्द, या किसी और पहलू (जैसे व्रत नियम, भोग विधि, आरती पाठ आदि) की विस्तारपूर्वक जानकारी चाहते हैं? मैं खुशी-खुशी मदद करूँगा। हैप्पी कृष्ण जन्माष्टमी..

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